लेखनी प्रतियोगिता -18-Apr-2022- बहाना
हूँ मैं परी अपनी दुनिया की,
फूलों के बीच में रहती हूँ |
पंख मेरे कभी हुए नहीं,
ख्वाबों की दुनिया में उड़ती हूंँ |
दिन भर में भी कभी थकती नहीं ,
रातों को जागती रहती हूंँ |
चुप रह जाती तानों के बीच में ,
कर्तव्य अपना निभाती हूंँ |
त्याग , मोहब्बत की मूरत बन के ,
औरत का फर्ज निभाती हूंँ |
दुख सुख दोनों एक बराबर मेरे लिए ,
मुस्कान ओढ़ कर रखती हूंँ |
जज्बातों से जूझती रहती हर पल ,
पाषाण सी दिखती रहती हूंँ |
बहाने बनाती हूँ मैं खुद से,
निर्मल सी बहना चाहती हूँ ।
प्यारी सी एक दुनिया है मेरी अपनी,
मां-बाप की लाडो रहती हूंँ |
बालों से सफेदी झांकती जा रही,
साजन के दिल में रहती हूंँ |
बच्चों की जान मुझमें है बसती ,
उनको जादुई परी मैं दिखती हूंँ |
परियों की दुनिया में तो नहीं ,
हाँ अपनी दुनिया में रहती हूंँ ||
प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Anam ansari
21-Apr-2022 09:57 PM
👏👌
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Seema Priyadarshini sahay
20-Apr-2022 04:33 PM
बेहतरीन
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Shnaya
19-Apr-2022 04:26 PM
Very nice 👍🏼
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